दूसरों की मदद करने वाले लोगों की रक्षा खुद भगवान करते हैं | Dusro ki madat karne vale logo ki raksha khud Bhagwan karte hai

 Dusro ki madat karne vale logo ki raksha khud Bhagwan karte hai.


रोहन और उसका पूरा परिवार एक छोटे से गांव में रहा करते थे जहां इनके पास खुद का अपना घर भी नहीं था ये यहां पर सड़क के किनारे झोपड़ी बना कर रहा करते थे और कभी-कभी तो इतने बुरे दिन आते थे कि रात को इन्हें भूखे पेट ही सो जाना पड़ता था


helping motivational story in hindi. 

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रोहन के पापा सब्जी बेच कर जैसे तैसे घर चलाते थे और रोहन की मम्मी घरों में जाकर बर्तन मांझा करती थी जहां से उसे कुछ पैसे मिल जाया करते थे और थोड़ा बचा हुआ खाना लोग दे दिया करते थे इसी तरह से ये लोग एक नरक जैसे जिंदगी जी रहे थे.

रोज की तरह रोहन की मां बर्तन मांजने के लिए लोगों के घरों में गई थी लेकिन आज जो उसके साथ होने वाला था, उसकी उसे खबर भी नहीं थी रास्ते में चलते हुए एक बड़ी सी गाड़ी रोहन की मां को उड़ा कर चली जाती है कुछ लोग यह देख कर उसके पास भागे हुए आते हैं और उसे पास के एक सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती करवा देते हैं.

और रोहन और उसके पिता को जैसे ही यह खबर मिलती है, वह भागे भागे हॉस्पिटल में जाते हैं डॉक्टर रोहन और उसके पिता को बताता है कि हालत बहुत गंभीर है अभी हम आपको कोई जवाब नहीं दे सकते हौसला रखिए हम उन्हें बचाने की पूरी कोशिश करेंगे.

कुछ घंटों बाद डॉक्टर बाहर आते हैं और रोहन और उसके पिता को बताते हैं कि अब वह खतरे से बाहर हैं लेकिन अब वह कभी चल नहीं पाएंगी अगर आप उन्हें दोबारा से अपने पैरों पर चलता देखना चाहते हैं तो उन्हें किसी बड़े हॉस्पिटल में भर्ती कराइए इस हॉस्पिटल में इनका इलाज कर पाना मुश्किल है.

रोहन और उसके पिता अपने गांव के सभी बड़े हॉस्पिटलों में जा कर आ चुके थे लेकिन गांव के किसी भी हॉस्पिटल में उसकी मां का इलाज कर पाना संभव नहीं था हर डॉक्टर बस यही कहता कि उन्हे शहर के किसी बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाइए लेकिन रोहन और उसके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह शहर जाकर किसी बड़े हॉस्पिटल में इलाज करवा सकें.

रोहन और उसके पिता मायूस होकर घर लौट रहे थे तभी उन्हें एक बच्चे की आवाज सुनाई देती है बचाओ बचाओ वह दोनों देखते हैं कि एक बच्चा नदी में डूब रहा था यह देखते ही रोहन नदी में उस बच्चे की जान बचाने के लिए खुद पड़ता है और उस बच्चे को नदी से बाहर निकाल लेता है.

इस तरह से रोहन उस बच्चे की जान बचा लेता है वह दोनों आसपास देखते हैं कि आखिर यह बच्चा किसका है लेकिन इस बच्चे के साथ कोई नहीं था यह बिल्कुल अकेला था रोहन और उसके पिता गांव से कुछ दूर इस बच्चे को एक पुलिस स्टेशन में ले जाते हैं पुलिस स्टेशन में घुसते ही यह बच्चा भागा भागा एक औरत के पास जाता है और उसे गले लगा कर बहुत रोता है.


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वह औरत और कोई नहीं इस बच्चे की मम्मी थी और वह बच्चा रोते रोते अपनी मम्मी को सारी कहानी बताता है जो कुछ उसके साथ घटी थी यह औरत रोहन और उसके पिता के पास जाती है और उन दोनों का बहुत धन्यवाद करती है और कहती है कि आपने मेरे बच्चे की जान बचाई मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूंगी आपको कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो जरूर बताना.

रोहन इस औरत से बोलता है कि बस आप मेरी मम्मी के लिए दुआ कीजिए कि वह दोबारा अपने पैरों पर खड़ी हो जाए यह औरत रोहन से पूरी बात जानती है कि आखिर क्या हुआ है तुम्हारी मम्मी के साथ तब रोहन सारी घटी हुई घटना इस औरत को बताता है कि कैसे उसकी मम्मी का एक्सीडेंट हुआ और वह हॉस्पिटल में है अब वह अपने पैरों पर नहीं चल सकती और इलाज के लिए इन दोनों के पास पैसे भी नहीं है कि वह उनका इलाज करवा सकें.

रोहन की यह सारी बात सुनने के बाद ये औरत बोलती है कि मैं तुम्हारी मम्मी का इलाज करवाऊंगी उनके इलाज में जो भी खर्चा आएगा, मैं सारा खर्चा उठाऊगी लेकिन रोहन और उसके पिता बहुत स्वाभिमानी थे इसलिए वह उस औरत को मना करते हैं कि हम आपके पैसे नहीं ले सकते हमें माफ करिए.

लेकिन यह औरत उनकी एक नहीं सुनती और बोलती है कि आज अगर मेरा बच्चा मेरे सामने जिंदा है तो वह केवल आपकी वजह से है आप लोग मेरे लिए भगवान बन के आए हैं और अब यह मेरा फर्ज बनता है कि मैं भी आपकी मदद करूं आपने मेरे बच्चे की जान बचाई और अगर मैं आपके काम आ सकूं तो इससे अच्छा और कुछ नहीं होगा प्लीज मुझे आपकी मदद करने दीजिए.


और वह बहुत पीछे पड़ कर उन सभी को अपने साथ शहर ले जाती है और वहां के एक बहुत बड़े नामी हॉस्पिटल में रोहन की मां का ऑपरेशन करवाती है जिसकी वजह से रोहन की मां बिल्कुल ठीक हो जाती है और दोबारा अपने पैरों पर चल पाती है रोहन इस औरत के हाथ जोड़ता है और पैर छू के दिल से धन्यवाद कहता है और कहता है कि आप मेरे लिए भगवान से कम नहीं हो आपकी वजह से आज मेरी मम्मी दुबारा अपने पैरों पर चल पाई आपका यह एहसान मैं कभी जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगा.

 यह औरत रोहन को उठाकर बोलती है कि तुम भी मेरे लिए मेरे बेटे जैसे हो प्लीज मेरे पैर मत छुओ और मैं तुम्हारी मदद कर सकी इससे ज्याद खुशी की बात कुछ और नहीं है और भगवान तो तुम बनकर आए मेरे लिए जिसने मेरे बेटे की जान बचाई इतना कहकर यह औरत रोहन को उसकी मम्मी के पास अंदर भेज देती है रोहन दिल से उसका धन्यवाद कर के अंदर चला जाता है.

रोहन और उसके पिता ने अपनी परेशानी छोड़कर दूसरे की मदद करी परिणाम स्वरूप भगवान ने उनकी मदद करने के लिए इस औरत को इनके पास भेजा जिसने रोहन और उसके पिता की मदद करी जिसकी वजह से आज उसकी मां अपने पैरों पर चल पाई इस कहानी का मकसद सिर्फ यह था कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, भगवान स्वयं उनकी मदद करते हैं तो दोस्तों यह कहानी यही खत्म होती है.


Mai aasha karta hu apko ye post pasand aaya hoga. 

Thank you everyone. 

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