Akela bachcha.
यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जोकि बहुत अकेला रहता था यूं तो पूरा परिवार था दादा दादी मम्मी पापा बहन भाई सभी थे लेकिन किसी के पास भी इस बच्चे के लिए टाइम नहीं था ऐसे में यह बच्चा अपने आप को बहुत अकेला महसूस करता था
Akela bachch.
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akela bachcha |
यह सोचता था कि मैं अपनी बातें किस के साथ शेयर करूं मैं किस से बात करूं किसके साथ खेलूं ऐसे में यह बच्चा बहुत अकेला रह जाता था पापा मम्मी अपने काम में लगे रहते थे बड़े बहन भाई अपने कामों में व्यस्त रहते थे किसी के भी पास इतना टाइम नहीं था कि वह इसके पास आकर खेल सके इससे बात कर सके थोड़ा इसको समय दे एक दिन यह बच्चा अपने घर के पास वाले पार्क में जाता है.
यह वहां देखता है कि सभी के मम्मी पापा अपने अपने बच्चों के साथ खेल रहे हैं किसी के पापा अपने बेटे को साइकिल चलाना सिखा रहे हैं किसी की मम्मी अपनी बेटी को झूला झुला रही है यह भी उन्हें देखकर सोचता है कि काश मेरे मम्मी पापा भी मेरे साथ ऐसे ही पार्क में खेलने आते मुझे साइकिल चलाना सिखाते यह सब देख कर बच्चा मायूस हो गया और मायूस होकर पार्क में एक बेंच पर बैठ गया और दुखी होने लगा तभी उसकी नजर कुछ दूर कुछ बच्चों पर पड़ती है.
जो कि पार्क में एक छोटे से पप्पी को परेशान कर रहे होते हैं वह उठकर वहां जाता है और उन बच्चों से लड़ाई करता है और इस छोटे से पप्पी को उन बच्चों से बचा लेता है फिर यह बच्चा इस छोटे से पप्पी को उठाता है और बेंच पर बैठाता है यह बच्चा उस छोटे से पप्पी के सर पर हाथ फेर कर उसे खूब प्यार करता है फिर यह बच्चा उस छोटे से पप्पी को वही पार्क में छोड़ कर अपने घर आ रहा होता है.
Akela bachcha.
लेकिन उसको उस छोटे से पप्पी की चिंता होती है और फिर वह दोबारा से वापस पार्क में जाता है और उस छोटे से पप्पी को उठाता है और अपने साथ घर पर ले आता है लेकिन उसको कहीं ना कहीं डर लग रहा था कि कहीं उसके मां-बाप उस पर चिल्लाए ना कहीं वह उसे खूब डांटे ना वह उस छोटे से पप्पी को सबसे बचाकर छत पर छुपा कर रखता है.
इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं और जब सब अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं तब यह बच्चा रोज अपनी छत पर आकर इस छोटे से पप्पी के साथ खूब खेलता है उससे खूब सारी बातें करता है बहुत मस्ती करता है अब यह बच्चा अकेलापन महसूस नहीं करता क्योंकि उसे एक दोस्त मिल गया है पर एक दिन इस बच्चे की मम्मी उस छोटे से पप्पी को देख लेती है और जब यह बच्चा स्कूल से वापस अपने घर आता है तो वह देखता है कि उसकी मम्मी उस छोटे से पप्पी को अपने पास लेकर बैठी हुई है वह यह देख कर डर जाता है और उसकी मम्मी गुस्से में उसकी और चलती हुई आती है और यह बच्चा डर के मारे अपनी आंखें बंद कर लेता है पर उसकी मम्मी प्यार से उसके सर पर हाथ फेैरती है और बोलती है कोई बात नहीं हम इसे यहां रख सकते हैं.
और कहती है कि मैं जानती हूं कि हम तुम्हें टाइम नहीं दे पाते हैं बेटा इसके लिए हमें माफ करना अब से जितना होगा उतना टाइम हम तुम्हें देंगे और हम दोनों मिलकर इस छोटे से क्यूट से पप्पी के साथ खेला करेंगे यह सब सुनकर यह बच्चा बहुत खुश हो जाता है और अपनी मम्मी को हग करता है अब यह बच्चा अकेलापन महसूस नहीं करता अब इसके पास एक क्यूट सा छोटा सा दोस्त है इसने इस छोटे से क्यूट पप्पी का नाम खुशी रखा है और अब इसके मम्मी पापा बहन भाई सब इसको खूब सारा टाइम देते हैं इसके साथ सभी मिलकर खेलते हैं, खूब सारी बातें करते हैं। मिलकर सारा परिवार खूब मस्ती करता हैं और अब यह बच्चा बहुत खुश रहता है क्योंकि अब इसके पास एक प्यारा सा दोस्त भी है और पूरा परिवार भी.
To guys ye story yahi end hoti hai.
I hope apko ye story pasand aai hogi.
Thank you everyone.
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