बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ | Beti bachao beti padhao

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आलिया और उसका पूरा परिवार अभी हाल ही में नए-नए मुंबई में शिफ्ट हुए थे इससे पहले यह हैदराबाद में रहा करते थे हैदराबाद में आलिया के पापा का बहुत अच्छा व्यापार चलता था लेकिन एक दिन आलिया के पिता की फैक्ट्री में आग लग जाती है और उनका कारोबार ठप हो जाता है


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और आलिया के पिता ने इस व्यापार को शुरू करने के लिए काफी लोगों से कर्जा भी ले रखा था पैसों की कमी होने के कारण उन्हें अपना यह घर बेचना पड़ता है और पूरी फैमिली के साथ मुंबई में अपने भाई के घर आकर रहने लगते हैं.


आलिया के पिता अपने भाई पर बोझ नहीं बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक छोटी सी दुकान में काम करना शुरू कर दिया जिससे कि वह अपने भाई की घर के खर्चों में मदद कर सके और वह आलिया का दाखिला एक पास ही के कॉलेज में करवाते हैं.


कल आलिया के कॉलेज का पहला दिन था वह यहां किसी को भी नहीं जानती थी यह शहर उसके लिए बिल्कुल अनजान था कल सुबह के बारे में सोच सोच कर उसको नींद भी नहीं आ रही थी रात के 2:00 बज चुके थे आलिया की बेचैनी देखकर इसकी मम्मी उसके पास आती है. 


 वह आलिया को बहुत प्यार से समझाती है और उसको शांत करके सुला देती है अगले दिन सुबह आलिया की मां उसको नींद से उठाने के लिए जाती है लेकिन यह क्या वह देखती है कि आलिया तो खुद ही तैयार होकर बैठी हुई थी.


आलिया अपनी मां से बोलती है कि कल रात आपने मुझे इतने प्यार से समझा है कि अब मुझे डर नहीं लग रहा है यह बोलकर आलिया अपने चाचा के साथ कॉलेज के लिए निकल जाती है उसके चाचा उसे कॉलेज के बाहर छोड़ कर चले जाते हैं.


आलिया थोड़ा डरते हुए कॉलेज के अंदर जाती है और अपनी क्लास रुम में जाकर बैठ जाती है आलिया के पास एक लड़की आ कर बैठती है जिसका नाम रेशमा था रेशमा आलिया से पूछती है कि क्या तुम्हारा अभी नया दाखिला हुआ है.


आलिया थोड़ा डरते हुए हां बोलती है रेशमा उसे बोलती है कि तुम इतना डरो मत मैं समझ सकती हूं कि तुम्हारा पहला दिन है मेरा भी अभी कुछ दिन पहले ही इस कॉलेज में दाखिला हुआ है और अगर तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो तुम मुझे बता देना आलिया रेशमा को धन्यवाद बोलती है और दोनों के बीच में काफी अच्छी दोस्ती हो जाती है.


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और यह दोनों एक दूसरे को काफी अच्छी तरह से समझती भी है और एक दूसरे की खूब मदद भी करती है अब आलिया को इस अनजान शहर में एक बहुत अच्छी दोस्त मिल चुकी थी इसी तरह कुछ साल बीत गए.


और पता भी नहीं चला कि कब कॉलेज का आखरी दिन आ गया आलिया अब अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी उसका सपना था कि वह एक आईपीएस ऑफिसर बने वह अच्छे से जानती थी कि उसके घर की आर्थिक स्थिति कैसी थी वह चाहती थी कि वह एक आईपीएस ऑफिसर बने और अपने पापा का सर गर्व से ऊंचा कर दे.


और वह जी जान लगाकर आईपीएस ऑफिसर बनने की तैयारी में लग जाती है वह दिन रात एक कर के पढ़ाई करती है जब भी उसका पढ़ने मे मन नहीं लगता था तो वह अपने घर की आर्थिक स्थिति के बारे में सोचती थी और अपने पापा के बारे में.


वह अपने आप से बोलती थी कि मुझे अपने घर के बुरे दिन दूर करने हैं और मुझे अपने पापा को एक बहुत अच्छी जिंदगी देनी है मैं अब और उन्हें उस छोटी सी दुकान पर काम करने नहीं दूंगी यह सब बोल कर वह अपने मन को फिर से पढ़ाई में लगा लेती है.


और खूब मेहनत करके पड़ती है इसी तरह उसकी परीक्षा के दिन भी आ जाते हैं आलिया की माँ आलिया को दही और चीनी खिलाकर परीक्षा के लिए भेजती है आलिया परीक्षा भवन में घुसते ही घबरा जाती है और उसके हाथ कांपने लगते हैं.


लेकिन वह अपने सपने के बारे में सोचती है और लिखना शुरु कर देती है और वह पूरा पेपर अच्छे से लिख कर आती है वह घर आकर अपनी मम्मी को बताती है कि मेरा पेपर बहुत अच्छा गया है कुछ दिन बाद आलिया का रिजल्ट आता है और वह पास हो जाती है.


उसका इंटरव्यू होता है और आलिया को इंटरव्यू में सेलेक्ट कर लिया जाता है आलिया को 11 महीने की ट्रेनिंग के लिए उसी के शहर हैदराबाद भेजा जाता है 11 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद आलिया वापस अपने घर आती है जहां उसके पापा ढोल नगाड़े बजवा कर उसका स्वागत करते हैं और उसकी मम्मी पूजा की थाली से उसकी आरती उतारती है.


आलिया के पिता उसे कहते हैं कि आज तूने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया मुझे गर्व है कि तू मेरी बेटी है तेरे जैसी औलाद भगवान सबको दे तू मेरी बेटी नहीं बेटा है और आलिया के माता-पिता उसे अपने गले से लगा लेते हैं और उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था आलिया ने अपने सपने को पूरा करा और अपने घर की पूरी स्थिति को बदल दिया और अपने घर को एक खुशहाल और अच्छी जिंदगी दी.


Mai aasha karta hu apko ye story pasand aai hogi.


Thank you everyone. 

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